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द गर्ल इन रूम 105

सौरभ और मैंने एक-दूसरे की ओर देखा ।


'एक्सीडेंट, सौरभ ने कहा। *या ख़ुदा । मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ?

"उसके पैरेंट्स को ये ईयररिंग्स उसके कमरे से मिली थीं। लेकिन वो इन्हें पहचान नहीं पाए। हम धीनगर

आ रहे थे तो उन्होंने हमें ये देते हुए कहा कि हम पता करें ये ईयररिंग्स उसे किसने दी थीं, मैंने कहा शौकत ने

हमें कुछ झिझक भरी नज़र से देखा।

"उसके पैरेंट्स अपनी बेटी की मौत से बहुत परेशान हैं, आप समझ सकते हैं। हम तो बस अपनी तरफ से

उनकी मदद करना चाहते हैं, ' मैंने कहा। “लेकिन लगता है हमें एक अच्छी दुकान मिल गई है, भाई खुद अपनी पारिवारिक जरूरतों के लिए, अब

हमारे पास एक अच्छा ज्वेलर है, सौरभ ने मुझसे कहा। यह सुनकर दुकान का मालिक कन्विंस हो गया। उसने सिर हिलाया और अपनी सीट के ऊपर एक शेल्फ़ से

माइक्रोस्कोप निकालकर ईयररिंग्स देखने लगा। "बिलकुल, हमारी ही चीज़ है, इस पर हमारा शॉप मार्क भी है।"

"उस एसजे को देखकर ही तो हम यहां तक आए हैं, मैंने कहा। दुकान के मालिक ने माइक्रोस्कोप एक तरफ रख दिया।

'हा, लेकिन मैं याद नहीं कर पा रहा हूं कि मैंने इन्हें कब बेचा था। इसे मेरे दोनों बेटों में से किसी ने बेचा

होगा। या फिर मेरे भतीजे ने जो कि यहां का मुख्य सेल्सपर्सन है।"

अगर आप उनसे पूछकर बता सकें तो, मैंने कहा।

"वो लोग बैंक के किसी काम से बाहर गए हैं। जल्द ही लौट आएंगे। आप यहां बैठकर इंतज़ार कर सकते हैं। हम दो घंटे तक वहां बैठे रहे, तब जाकर दुकान के बाहर एक फॉर्च्यूनर आकर रुकी। उसमें से

"

बामुश्किल

बीस साल के तीन लड़के निकले। तीनों ने ही फ्रेंच कट

दाढ़ी रखी हुई थी।

"इतनी देर?" शौकत ने घड़ी देखते हुए कहा।

* आर्मी ने रास्ते बंद कर रखे थे। फुल चेकिंग चल रही है। उस पर से ट्रैफिक जैम, उनमें से एक ने कहा। इस आर्मी की तो ऐसी की तैसी, दूसरे ने कहा। "थोड़ा तमीज़ से बात करो। यहां मेहमान बैठे हैं, शौकत ने कहा।

'जी, मैं मोहसिन हूं, शौकत चाचा का भतीजा अभी-अभी आर्मी को कोसने वाले ने कहा 'सॉरी, मेरा

मतलब यह नहीं था....

'इट्स ओके। मैं केशव हूँ। ये सौरभ है।'

'मैं अली है, और ये मेरा भाई सलीम है, दूसरे ने कहा।

शौकत ने उनसे ईयररिंग्स के बारे में पूछा। उन्होंने ईयररिंग्स एक-दूसरे की ओर बढ़ा दीं।

"मुझे तो याद नहीं आता कि मैंने इन्हें कभी बेचा हो,' अली ने कहा।

"और ना ही मुझे, ' मोहसिन ने कहा।

'मुझे दिखाओ, सलीम ने कहा और ईयररिंग्स ले लीं। 'ये कब खरीदी गई थीं?" पिछले पांच साल में कभी, शायद, ' मैंने कहा।

ये एंटीक दिखती है, लेकिन है नहीं। एक पुरानी कश्मीरी डिज़ाइन की नकल, मोहसिन ने कहा 'ओह

हा

अब मुझे याद आ गया।' ""क्या याद आ गया?" सौरभ और मैंने एक साथ कहा। सभी लोग हमारे इस उत्साह से चौंक गए।

'अरे वो आदमी, जो दिखने में ही फौजी लग रहा था। ऊंचा तगड़ा और कड़क वो कह रहा था कि

उसे

उसकी दादी की ईयररिंग्स फिर से बनवानी हैं, ' मोहसिन ने कहा। "हां, मुझे याद आया, तुम इसके बारे में बात कर रहे थे, ' अली ने कहा, 'लेकिन में कस्टमर को याद नहीं कर

पा रहा हूँ।"

"मुझे याद है, मोहसिन ने कहा 'उसने कैश में बिल चुकाया था। ज़रा मुझे कैश सेल्स बुक तो देना।"

अली ने कैश काउंटर के नीचे वाली दराज खोली और एक कार्बन कॉपी लाइन्ड नोटबुक निकाली। उसमें

सफ़ेद और गुलाबी पते थे, हाथ की लिखावट से भरे हुए थे। उसने उसे मोहसिन की ओर बढ़ा दिया।

"यह तीन लाख रुपए से कम की नहीं थी। मैं हाई-वैल्यू सेल्स में देखता हूं.' मोहसिन ने कहा और तेजी से

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